tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post1658918476626825870..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: भाषा के बीहड़ में गुमसुम..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-24628133764178034852007-07-04T19:55:00.000+05:302007-07-04T19:55:00.000+05:30अच्छा है ये काला-काला! :)अच्छा है ये काला-काला! :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-34055572736700052272007-07-04T14:32:00.000+05:302007-07-04T14:32:00.000+05:30भाई वाह क्या कविता है! अब तो लगता है युवा कविता के...भाई वाह क्या कविता है! अब तो लगता है युवा कविता के दिन अवश्य फिरेंगे. भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के चालीसोपरांत कवियों मे नामांकित होने लिये पूर्व बधाई.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-15414176221071687322007-07-04T14:30:00.000+05:302007-07-04T14:30:00.000+05:30भाई वाह क्या कविता है! अब तो लगता है युवा कविता के...भाई वाह क्या कविता है! अब तो लगता है युवा कविता के दिन अवश्य फिरेंगे. भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के चालीसोपरांत कवियों मे नामांकित होने लिये पूर्व बधाई.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-57518093063660757352007-07-04T09:45:00.000+05:302007-07-04T09:45:00.000+05:30कविता अपना कर्म करती रहे यूं ही तो शायद कल न कहना ...कविता अपना कर्म करती रहे यूं ही तो शायद कल न कहना पडे काला काला काला! बहुत मर्मस्पर्शी कविता !Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-8774091446808369022007-07-04T07:26:00.000+05:302007-07-04T07:26:00.000+05:30इतना भी न गुमसुन हो जायें-अभी बहुत कुछ बचा हुआ है ...इतना भी न गुमसुन हो जायें-अभी बहुत कुछ बचा हुआ है अलख जगाने को. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-58082348834971957552007-07-04T05:47:00.000+05:302007-07-04T05:47:00.000+05:30चांदनी के अंधेरे मेंकोई आवारा बजरी हैया नशे में डो...चांदनी के अंधेरे में<BR/>कोई आवारा बजरी है<BR/>या नशे में डोलती रात<BR/>सोचता सोया मैं<BR/>जगी है मेरी बात.<BR/>शान्दार कविता,भाइ आजकल हमारी पसंद कैसे बनते जा रहे हो...?Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.com