tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post1989511785406207887..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: मंत्रazdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-25071698001963176122013-08-17T13:45:38.702+05:302013-08-17T13:45:38.702+05:30ऐसी, इतनी भावुकता से मधुमेह जोर मारने लगता है. निर...ऐसी, इतनी भावुकता से मधुमेह जोर मारने लगता है. निरुपमता आंखों के कोर से बहने लगता है, संभलकर शब्द चलना चाहिए, नहीं?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-57874785275268170372013-08-17T04:30:49.324+05:302013-08-17T04:30:49.324+05:30गीली धुंधलायी आंखों के पेर, मन के अंधेर में
बेतुकी...गीली धुंधलायी आंखों के पेर, मन के अंधेर में<br />बेतुकी पगलायी हंसियों की ज़िद करता है<br />***<br />आज जो लेकर आया जीवन आपकी नोटबुक तक... उस क्षण का शुक्रिया...!<br /><br />पुनः प्रणाम निवेदित करते है आपके श्रीचरणों में!<br />अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-73160498702317792332013-07-04T19:24:50.331+05:302013-07-04T19:24:50.331+05:30उमड़ता है, घुमड़ता है, अवसर पाकर रगड़ता है।उमड़ता है, घुमड़ता है, अवसर पाकर रगड़ता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com