tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post2015474899420117960..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: बैलों का ब्लॉग..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-43789565370621245072008-02-19T01:29:00.000+05:302008-02-19T01:29:00.000+05:30विमल भाई का आभार ....नए मुहावरे से परिचित कराने के...विमल भाई का आभार ....नए मुहावरे से परिचित कराने के लिए -बैलिया डाह। क्या बात है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-25934480604564777822008-02-18T16:42:00.000+05:302008-02-18T16:42:00.000+05:30राघव आलोक इतना खिसियाये क्यों है? बैलों के साथ रह ...राघव आलोक इतना खिसियाये क्यों है? बैलों के साथ रह रह कर क्या हालत हो गई है....इसको कहते हैं बैलिया डाह...VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-40824813568867267362008-02-18T15:14:00.000+05:302008-02-18T15:14:00.000+05:30बैल तो शेयर मार्केट का बुल दिख रहा है। इसकी कैटेगर...बैल तो शेयर मार्केट का बुल दिख रहा है। इसकी कैटेगरी दूसरे बैलों से अलग होनी चाहिए। यानी बैलों के ब्लॉग में अलग-अलग बैलों की श्रेणियां अलग होनी चाहिए। इस सामूहिक ब्लॉग की श्रेणियों में से एक श्रेणी राघव आलोक के लिए अभी से रिजर्व रखी जाए।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-85559165825172079102008-02-18T15:05:00.000+05:302008-02-18T15:05:00.000+05:30जय हो जय हो... पूरी टीम फड़क उठी... जय हो जय हो ब्...जय हो जय हो... पूरी टीम फड़क उठी... जय हो जय हो ब्लॉग सेटिंग की... जय हो... हमरी दिल्ली जिंदाबाद है...राघव आलोकhttps://www.blogger.com/profile/06105125927201632104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-67701445706003997192008-02-18T14:33:00.000+05:302008-02-18T14:33:00.000+05:30ना जी ! बैल अपना बिहाग ज़रूर छेड़ें . पूरी मंडली के ...ना जी ! बैल अपना बिहाग ज़रूर छेड़ें . पूरी मंडली के साथ छेड़ें . बल्कि छेड़ रहे हैं . बस थोड़ा सींग कटवा दीजिए. वरना एक दिन वृंदवादन में तबला-नगाड़ा-ढोलक सब फूटा अउर 'जांटी' पर झूलता मिलेगा अउर एक-आध संगतकार घायलावस्था में करुण रस का कौनौ राग आलापता मिलेगा .<BR/><BR/>आपके ई प्रेमी-प्रशंसकबंधु भाई राघव आलोक जी अउर सत्त्तबादी जी का दिल्ली रहते हैं ? दिल्ली गए अउर उनका सेट नहीं किए सो नाराज़ हैं . अबकी जाइएगा तो ज़रूरै भेटियाइएगा . मेट-माट कर लीजिएगा . <BR/><BR/>कुछ बूझते हैं सिंघ जी ?Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-5800697185411913492008-02-18T12:26:00.000+05:302008-02-18T12:26:00.000+05:30किसने किसको सेट किया ये आलोक जी ने देख लिया । जहाँ...किसने किसको सेट किया ये आलोक जी ने देख लिया । जहाँ नहीं सेट किया वहाँ भी देख लिया । ये तीसरी नज़र कहाँ से ले आये ? <BR/>और ब्लॉग की दुनिया में इतने कलछुल , चमचा , हंडिया बिखरे पड़े हैं वहाँ कुछ नहीं दिखा ?Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-50809024522935030632008-02-18T11:51:00.000+05:302008-02-18T11:51:00.000+05:30@राघवजी आलोकजी,बड़ी पैनी व पीनी नज़र है, महाराज? ए...@राघवजी आलोकजी,<BR/>बड़ी पैनी व पीनी नज़र है, महाराज? एकदम से हमारा सत्व-तत्व पकड़ लिये? आप कहां सहला रहे हैं? वो जगह हमसे छूटी रह गई हो तो कृपया बतायें, वहां भी हम सहलाने पहुंचें, ऐं?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-79041194124748532012008-02-18T11:14:00.000+05:302008-02-18T11:14:00.000+05:30आपके जैसा चम्मच आदमी नहीं देखा। एक तरफ अनिल रघुरा...आपके जैसा चम्मच आदमी नहीं देखा। एक तरफ अनिल रघुराज, देबाशीष की सहलाने में लगे रहते हैं, दूसरी तरफ प्रत्यक्षा, बेजी, सुजाता को सेट करते रहते हैं। बेटियों के ब्लॉग पर भी आपको रवीश के ही लिखे का इंतजार रहता है। कब वो टीवी पत्रकार लिखे और आप निर्देशक महोदय टिप्पणी करें। सिनेमा-टीवी का अजब सेटिंग राग छेड़ा भाई।राघव आलोकhttps://www.blogger.com/profile/06105125927201632104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-65670087039741034012008-02-18T11:10:00.000+05:302008-02-18T11:10:00.000+05:30बैलों के विषय में ग्यान बहुत कम है । कभी बगीचे में...बैलों के विषय में ग्यान बहुत कम है । कभी बगीचे में नहीं आते । सड़क पर बैल या गाय या भैंस जो भी दिखे हमें डर लगता है । साँपों पर तो हम जल्दी ही लिखने वाले हैं । वे तो बगीचे में, घर में भी आ जाते हैं । बैलों पर आप लिखते रहिये ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-9154115978493971302008-02-18T10:15:00.000+05:302008-02-18T10:15:00.000+05:30लगता है आप उनके सबसे बडे हिमायती हैं इसीलिये तो बा...लगता है आप उनके सबसे बडे हिमायती हैं इसीलिये तो बार बार ब्लोग लिंक देते हैंAnonymousnoreply@blogger.com