tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post3096122164726668932..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: सिडनी बेशे का ट्रंपेट और जीवन की रेल..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-50588859376490646002015-09-14T09:42:01.623+05:302015-09-14T09:42:01.623+05:30ई पॉडकास्ट नय चल रहा है परमोद जी. कुच्छो कीजिये ना...ई पॉडकास्ट नय चल रहा है परमोद जी. कुच्छो कीजिये ना..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-55494668561360060432013-09-14T00:35:08.291+05:302013-09-14T00:35:08.291+05:30औउर ऊ प्राणी जे केतना निरीह आबाज में कहानी सुनाने ...औउर ऊ प्राणी जे केतना निरीह आबाज में कहानी सुनाने बोल रहा था से त नहिये सुनाये आप, हैं?PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-82346907873822195722013-08-16T17:52:01.796+05:302013-08-16T17:52:01.796+05:30आप खुद ट्रम्पेट हो गए हैं या ट्रम्पेट आपके पेट में...आप खुद ट्रम्पेट हो गए हैं या ट्रम्पेट आपके पेट में चला गया ? उस निरीह चिरकुट की कहानी फिर अनसुनी रह गई। आर्केस्ट्रा के शोर में कितनी और भी गुम हैं? ऐसी कहानियां लिखी भी नहीं जाती, कविताई चाहे जितनी करा लो। <br />हम चूँकि सुजान पुरुख हैं सो अनकही कहानी भी पहचान गए और कविता भी जान गए। का है के पुराना चावल सुआद बहुत देता है.... अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-46176946611104862722013-08-16T12:33:29.635+05:302013-08-16T12:33:29.635+05:30:) :) :)
:) :) :)<br />देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-80650255573119089262013-08-15T23:01:43.897+05:302013-08-15T23:01:43.897+05:30आज फ़िर सुने। अद्भुत कवीता बनायें हैं आप! आज फ़िर सुने। अद्भुत कवीता बनायें हैं आप! अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-52447661892751436002008-03-12T23:09:00.000+05:302008-03-12T23:09:00.000+05:30बहुत शानदार पीस है जी। कविता तो ऐसी आधुनिक की क्या...बहुत शानदार पीस है जी। कविता तो ऐसी आधुनिक की क्या कहें। देर से सुने लेकिन जब सुने तो बहुत मजा लिये। अद्भुत कोलाज है कविता में तो!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-28761895279648866562008-03-08T09:23:00.000+05:302008-03-08T09:23:00.000+05:30ठीक है.... हम भी तैरना सीखते हैंठीक है.... हम भी तैरना सीखते हैंAdminhttps://www.blogger.com/profile/13066188398781940438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-52457252955189216462008-03-07T14:32:00.000+05:302008-03-07T14:32:00.000+05:30ए भाई जी एक गो कहानी हमरे पास भी है गोपालगंज में स...ए भाई जी एक गो कहानी हमरे पास भी है गोपालगंज में सुनाए थे वहां पर लोग बहुतै हंसे थे..तो उस निरीह प्राणी का भी कहनियाँ सुना डालिये..इधर तो हम ठठा के बेहाल हुए जा रहे हैं कैसे कैसे लोग आपकी ऑरकेश्ट्रा में शामिल हैं उनका भी परिचय ज़रूर दिया जाय भाईजी।बहुत चोखाया कविता सुना रहे हैं,वैसे एक गो कहानी हम भी सुनायेंगे भाई जी...भागियेगा जिन, अपनी सुना ले रहे हैं उस बेचारे ने क्या बिगाड़ा है भाई जीVIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-89666566289063988402008-03-07T14:20:00.000+05:302008-03-07T14:20:00.000+05:30स्वागत है बडे भाई, अनुराग बसु भाई के साथ आईये हमार...स्वागत है बडे भाई, अनुराग बसु भाई के साथ आईये हमारे भिलाई में हम फुरसत से सुनेंगें आपकी आधुनिक असल कविता । हम भी कहेंगें ही आनंदम् आनंदम ।<BR/><BR/><BR/><A HREF="http://www.aarambha.blogspot.com" REL="nofollow">आरंभ</A>36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-46330342228151599122008-03-07T12:49:00.000+05:302008-03-07T12:49:00.000+05:30ka pramod jee,duba ke chhodiyegaa ho!ka pramod jee,<BR/>duba ke chhodiyegaa ho!अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-4734669131184449852008-03-07T12:33:00.000+05:302008-03-07T12:33:00.000+05:30बाप रे ! क्या कम्पनी में बैठे हैं बेशे जी महाराज !...बाप रे ! क्या कम्पनी में बैठे हैं बेशे जी महाराज ! और उस तीसरे निरीह प्राणी के बाल नोच लेने की इच्छा ऐसी बलवती हुई है , क्या करें ? करुण रस के साथ रौद्र रस भी बह रहा है । दया कीजिये महारज ! पूरा बैलैंस गड़बड़ा गया है। टेरीलीन की साड़ी तो दिख ही रही है , कवि की विराट काव्य प्रतिभा भी दिख रही है।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-28636131870040865132008-03-07T12:13:00.000+05:302008-03-07T12:13:00.000+05:30हमको तैरना नहीं आता - हम किनारे में ही बैठेंगे - ...हमको तैरना नहीं आता - हम किनारे में ही बैठेंगे - तरंगें परोसेंगे - बुलबुले पकाएँगे - सादर मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-79046708438418228432008-03-07T05:06:00.000+05:302008-03-07T05:06:00.000+05:30महाराज, ग़ज़ब ही कर रहे हैं इन दिनों । सिर धुनते ह...महाराज, ग़ज़ब ही कर रहे हैं इन दिनों । सिर धुनते हैं और यही रटते हैं गजबै गजबै गजबै....<BR/>सचमुच आनंदम् आनंदम् है...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.com