tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post3720981334004594795..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: अरे, यायावर, रहेगा याद!azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-72573029088273526072013-09-06T08:37:16.125+05:302013-09-06T08:37:16.125+05:30अनलिखे पड़े सभी वृतांत लिखे जाएँ,
समय निकाल कर.अनलिखे पड़े सभी वृतांत लिखे जाएँ,<br />समय निकाल कर.अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-70534350617227219172013-09-06T06:28:08.573+05:302013-09-06T06:28:08.573+05:30:):)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-25698463780114648542008-11-14T02:55:00.000+05:302008-11-14T02:55:00.000+05:30अब तो आप जबरीया ट्रेवलाग लिख ही दो !!अब तो आप जबरीया ट्रेवलाग लिख ही दो !!दीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-16712037546045032162008-11-14T00:57:00.000+05:302008-11-14T00:57:00.000+05:30एक ठो फार्मेटवा के लिए लिख कर भी लगा दें ट्रेवलाग....एक ठो फार्मेटवा के लिए लिख कर भी लगा दें ट्रेवलाग..तो जरा सहूलियत झाड़ लेंगे.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-64056542001382097422008-11-14T00:55:00.000+05:302008-11-14T00:55:00.000+05:30वाह प्रमोद बाबू, अपने समय- समय भी तो, ससुर, एक बड़...वाह प्रमोद बाबू, अपने समय- समय भी तो, ससुर, एक बड़ी फ़जीहत है और सामने वाला एनर्जी फ्रस्ट्रेट कर रहा है?? हा हा!!<BR/><BR/>वैसे बात १०० टका सही है और मैं हमेशा की तरह आपसे पूरी तरह सहमत.<BR/><BR/>भरोसा रखिये इस नौजवान पर. आपकी उम्मिदों पर खरा उतरेगा. चेताने का आभार.<BR/><BR/>पहली लाईन मजाक बाकि सारा एकदम्मे सिरियस.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-76321938861894978642008-11-13T12:36:00.000+05:302008-11-13T12:36:00.000+05:30और, यदि यशवंत व्यास इसे पढ़ लें तो वे यकीनन अहा जि...और, यदि यशवंत व्यास इसे पढ़ लें तो वे यकीनन अहा जिंदगी की संपादकी छोड़कर मॅक्जिम पत्रिका ज्वाइन कर लें!<BR/><BR/>बाकी आपने सही कहा है. मेरी भी ढेरों भले न सही, चंद यात्राएँ हुई हैं, कम्यूटर, की-बोर्ड, चित्र, वीडियो सब सामने है, मगर लिखने का जज्बा नहीं. प्राथमिकता ही नहीं बन पाती. चलिए, आपने आत्मावलोकन लायक मसाला फैलाया है, कुछ करते है...रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-79296284576975959152008-11-13T12:28:00.000+05:302008-11-13T12:28:00.000+05:30आपके इस लघु लेखन से काम चलाया। आप इसी तरह के लेख ल...आपके इस लघु लेखन से काम चलाया। आप इसी तरह के लेख लिखते रहिये। अच्छा लगता है। ट्रवेलाग लिखते काहे नहीं? आप लिखिये न!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com