tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post3740185557017130878..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: कुबरन के क़िस्से..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-10356051138860784052008-12-28T17:38:00.000+05:302008-12-28T17:38:00.000+05:30@परलक्ष्या जी,भगवान के लिए अब इतना, और कितना शानद...@परलक्ष्या जी,<BR/>भगवान के लिए अब इतना, और कितना शानदार भी नहीं है, ऐसे ही हाथ डुलाते हुए ग्राफ़िक नोवेलाज़ लिखे गये तो वह मायापुरी के मायालोक से कहीं ऊपर जायेंगे?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-33246426420274532962008-12-28T14:36:00.000+05:302008-12-28T14:36:00.000+05:30शानदार ! हवेली की बुर्जी और जैतून मियाँ की शकल .. ...शानदार ! हवेली की बुर्जी और जैतून मियाँ की शकल .. लालटेन , साईकिल और छत पर कोंहड़ा, कसाई का कसाईपन ... सब ! सचमुच शानदार .. ग्राफिक नोवेल्ला की उम्मीद रखें ?Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-17545230029057763632008-12-28T01:45:00.000+05:302008-12-28T01:45:00.000+05:30स्केच भी सुंदर और कथा ने उन में जान डाल दी है। लगत...स्केच भी सुंदर और कथा ने उन में जान डाल दी है। लगता था 30 साल पहले की कोई कथा पत्रिका पढ़ रहा हूँ।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-43733903412321767622008-12-28T01:14:00.000+05:302008-12-28T01:14:00.000+05:30प्रमोद भाई ,मेरी एक पडौसन बाँग्लादेशी महिला है जो...प्रमोद भाई ,<BR/>मेरी एक पडौसन बाँग्लादेशी महिला है जो अँग्रेजी ही बोलती है और दूसरी है एक यहूदी ७८ वर्ष की<BR/>(जिसे मैँ अम्मा कहती हूँ) -<BR/> दोनोँ ही हमेशा,<BR/> मुस्कुराती हुई मिलीँ हैँ -<BR/> ग्रोसरनेँ हमेशा अलग ही देखी है- जिस बच्ची को फीस जुटानी हो वह काम करती दीखलाई दे जाती है -<BR/>("अमरीकन ड्रीम" के सपने <BR/>कडे सँघर्ष से पूरे किये जाते हैँ)<BR/> खैर !<BR/>मेरा कहने का मकसद यही है कि, आप बहुत उम्दा लिखते हैँ <BR/> कई दफे टीप्पणी नहीँ कर पाये <BR/>पर जब भी पढते हैँ <BR/> कुछ नया ही पाते हैँ <BR/>हमारी बहुत सी शुभकामनाएँ आपको और आगामी नव वर्ष २००९ के लिये भी -<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-72765935536620321572008-12-28T00:48:00.000+05:302008-12-28T00:48:00.000+05:30चलिये, इसी बहाने पता चला- अपने छोर का सच हम भी कह ...चलिये, इसी बहाने पता चला- अपने छोर का सच हम भी कह लें- कि आपसे मज़ाक नहीं किया जा सकता. <BR/>लेकिन ये बताइये, आपकी पड़ोसन, या पड़ोस की ग्रोसरन से भी नहीं किया जा सकता?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-52366716496172086292008-12-28T00:44:00.000+05:302008-12-28T00:44:00.000+05:30अरे ऐसी गुस्ताखी हम कैसे करते ? अब जो सच है कह दिय...अरे ऐसी गुस्ताखी हम कैसे करते ? अब जो सच है कह दिया --लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-9888905585414328392008-12-28T00:13:00.000+05:302008-12-28T00:13:00.000+05:30@लावण्याजी,ओह, हमारी चिचरीकारी को पीछे धकेल आपने ...@लावण्याजी,<BR/>ओह, हमारी चिचरीकारी को पीछे धकेल आपने कुबरन की आंखों के आगे हमारा दिल तोड़ दिया?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-84573809097356521412008-12-27T23:51:00.000+05:302008-12-27T23:51:00.000+05:30स्कैच से ज्यादा सजीव भाषा लगे तब लेखक के हुन्नर को...स्कैच से ज्यादा सजीव भाषा लगे<BR/> तब लेखक के हुन्नर को<BR/> ढेरोँ सलाम कहना ही सही है -<BR/>बहुत खूब प्रमोद भाई -लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com