tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post3964369679507816584..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: ज़िन्दगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा, कहां से रहेगा, करने की वजह नहीं है..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-48730351097101669942009-01-19T18:48:00.000+05:302009-01-19T18:48:00.000+05:30@व्याकरणाचार्ज जी, रस+ आनंद (+वन, मिसिंग है, ग़लत...@व्याकरणाचार्ज जी, <BR/>रस+ आनंद (+वन, मिसिंग है, ग़लती हो गयी) + अनुभूति = रसानंदनुभूति. भूल हो गयी? अब हो ही गयी होगी तो कौन है कि पहली बार होगी? ऐसे ही नहीं न है कि सन नवासी में हमने काव्यपंक्तियां निसृत की थीं:<BR/><I>भूलों तुम्हींने तो हमें पाला/ शूलों ने सम्भाला/<BR/>पल-पल हेरते रहे/ हारते रहे/ जीवन विष हाला</I>azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-35241466362315069432009-01-19T18:28:00.000+05:302009-01-19T18:28:00.000+05:30गान गुलो सबाइ खूब भालो . आपनार लेखा'उ भालो . किंतु...गान गुलो सबाइ खूब भालो . आपनार लेखा'उ भालो . किंतु मोशाय 'ऐतबार' कोरून . धाक्का खेले'उ कोरून .<BR/><BR/>'रसानंदनुभूति' -- एइ वर्ड टा की होलो . कौनो नूतन वर्ड 'कॉइन' कोरेछेन ?Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-62378619233628755532009-01-19T16:57:00.000+05:302009-01-19T16:57:00.000+05:30ब्लास्ट फ़र्नेस म बहुतै अकसीडेंट / म्यूज़िक-ट...ब्लास्ट फ़र्नेस म बहुतै अकसीडेंट / म्यूज़िक-ट्यूज़िक सेफ़ सैड / लुके रहिये-वैसे गाने बढ़िया सुनवाये :)पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-36984035949569869402009-01-19T12:26:00.000+05:302009-01-19T12:26:00.000+05:30@शुक्रिया विधुजी..@शुक्रिया विधुजी..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-77141961442069188422009-01-19T12:22:00.000+05:302009-01-19T12:22:00.000+05:30आप की पोस्ट पर आज पहली बार आना हुआ...दुखों को हँसी...आप की पोस्ट पर आज पहली बार आना हुआ...दुखों को हँसी मैं ठेलना भी अच्छा लगा...गीतों को फिर याद करना भी ...साथ ही..ये कहना,कुछ फूल गूंथना चाहता हूं.. हंसते हुए उदासी में लबरेज़ ओह, कैसा तो सुरीला गीत हो जाना चाहता हूं.. बधाई,विधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-24093570358191692062009-01-19T11:53:00.000+05:302009-01-19T11:53:00.000+05:30इत्ते खूबसूरत गानों के लिंक का शुक्रिया....इत्ते खूबसूरत गानों के लिंक का शुक्रिया....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.com