tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post396884136546404047..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: समय पीछे जाकर भी कितना पीछे जाता है?..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-3572233375980821602009-12-01T11:26:24.374+05:302009-12-01T11:26:24.374+05:30बाबू नयनमोहन घोषाल जैसा केतना पब्लिक है जो क्लैरिन...बाबू नयनमोहन घोषाल जैसा केतना पब्लिक है जो क्लैरिनेट-मैन को देखा नहीं है. पहचानता नहीं है. कोशिश करते-करते खुदे का पहचान भूल गया है. निकोलस यादव भी न जाने कितने हैं और पुनकी नेतराम से त रोजै भेंटाते हैं. समय का बिंदू पकड़े खड़े हैं. सबकुछ ओही बिंदू से नापना पड़ता है न.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-3171675122387319602009-12-01T00:35:44.262+05:302009-12-01T00:35:44.262+05:30"समय क्या है? उसे कितना भी पीछे खींचो, वहां ज..."समय क्या है? उसे कितना भी पीछे खींचो, वहां जाकर भी यही दिखता है कि समय के बड़े फलक का वह कितना लघुतम बिंदु है, समझ रहे हो?"स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-23851920423205218892009-11-30T23:38:29.150+05:302009-11-30T23:38:29.150+05:30एक ठो बहकबिहारी बाबू नयनमोहन घोषाल तो हमहीं हैं . ...एक ठो बहकबिहारी बाबू नयनमोहन घोषाल तो हमहीं हैं . बालापने में अलखनिरंजन बोल-बाल कर कौनो मठ-मंदिर से चिपक गए होते तो काहे दू टके की गिलहरी माफ़िक नौकरी अउर टिटिहरी मार्का काम में लाखों का सावन जाया होता .<br /><br />किन्तु बास्तबिकता तो एही है जौन आप दू चोख से देख रहे हैं . हमरे लिलार मा तौ ससुरा कौनौ ’नौका डूबी’ का जोग-संजोग भी नहीं है .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.com