tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post4024754531987769331..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: हिंदी किताबों के बहाने पंजीरी और चरणामृत..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-81216436625886336392011-07-12T21:57:04.173+05:302011-07-12T21:57:04.173+05:30दुर्लभ में तो पांडेय बेचन शर्मा उग्र जी का चाकलेट ...दुर्लभ में तो पांडेय बेचन शर्मा उग्र जी का चाकलेट भी है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-17895750790299339152007-12-01T14:28:00.000+05:302007-12-01T14:28:00.000+05:30बहुत बढ़िया बात उठाई प्रमोद जी। शालवनों का द्वीप म...बहुत बढ़िया बात उठाई प्रमोद जी। शालवनों का द्वीप मेरी प्रिय पुस्तकों में एक रही है। कई सालों से तलाश रहा हूं। हमारे कलेक्शन में हार्ड बाऊंड और पेपरबैक दोनों थीं। मित्रो की कृपा रही। सबसे पूछते फिर रहे हैं। <BR/>हमने अपने एमए का लघुशोध प्रबंध शानी पर ही किया और खुद दिल्ली में अपने हाथों उसे भेंट भी किया। बाद में उसका एक अंश नेशनल पब्लिशिंग हाऊस से शानी पर प्रकाशित एक पुस्तक में भी आया। <BR/>दुर्लभ में तो उग्रजी का चाकलेट भी है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-75053787487674302232007-11-30T17:55:00.000+05:302007-11-30T17:55:00.000+05:30बिलकुल ठीक कहा परमोद जी. ई अलख जगाए रखना है. हम भी...बिलकुल ठीक कहा परमोद जी. ई अलख जगाए रखना है. हम भी ओही कोसिस में हूँ. आपो हाथ-गोड़ चलाई रहे हैं. स्वागत है.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-89364746922760610202007-11-30T16:54:00.000+05:302007-11-30T16:54:00.000+05:30"अगर ब्लॉग पर हमने कुशवाहा कांतों, अमृता प्रीतम, ..."अगर ब्लॉग पर हमने कुशवाहा कांतों, अमृता प्रीतम, शिवानियों को चेंपना शुरू किया तो बेमतलब के कचर-मचर की एक अंतहीन सूची के जाल में फंसके रह जायेंगे."<BR/><BR/>मैं इस कथन के समर्थन में अपना मत देता हूं.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-77546453072876085682007-11-30T16:41:00.000+05:302007-11-30T16:41:00.000+05:30और भी हैं .. माने पगलेट !और भी हैं .. माने पगलेट !Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-38303138732486310582007-11-30T16:15:00.000+05:302007-11-30T16:15:00.000+05:30आप सीन से गायब हुई किताबों की बात कर रहे हैं, पर ह...आप सीन से गायब हुई किताबों की बात कर रहे हैं, पर हमें तो हिन्दी किताबों की दुकानें ही सीन से गायब होती नजर आ रही हैं।<BR/>सिवाय रेलवे स्टेशन के ए. एच. व्हीलर्स के, कहीं और दिखाई ही नही देतीं।<BR/>किताबी कोना के लिये शुभकामनाएं।Nitin Baglahttps://www.blogger.com/profile/18440781901122132231noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-8259543729004572142007-11-30T15:53:00.000+05:302007-11-30T15:53:00.000+05:30आपकी बात सही है इष्ट देव जी, इस देश का शायद ही को...आपकी बात सही है इष्ट देव जी, इस देश का शायद ही कोई क्षेत्र, कोई कोना हो जो इन भ्रष्टाचारी आंधियों से परे रहा हो.. लेकिन इसे के बीच हमें सार्थकता के स्पेस भी तो खड़े करने हैं, हुज़ूर? जितना संभव हो, हाथ-गोड़ चलाते हैं..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-63679147138279200692007-11-30T15:44:00.000+05:302007-11-30T15:44:00.000+05:30अब, काकेश बाबू, ऐसा है कि किताबी कोना पर अंग्रेजी ...अब, <B>काकेश बाबू</B>, ऐसा है कि किताबी कोना पर अंग्रेजी शामिल करने से कहीं ऐसा न हो, हिंदी वाले भाईलोग रूसने लगें.. फ़िलहाल नयी जगह हिंदी का ही पताका लहराया जाये.. अंग्रेजी की बतकुच्चन की ऐसी बेचैनी हुई तो उसका कोई नया इंतज़ाम देखेंगे.Kitaabi Lalhttps://www.blogger.com/profile/03372320008604154321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-62456173808137466282007-11-30T14:53:00.000+05:302007-11-30T14:53:00.000+05:30असल में हिन्दी में प्रकाशन और साहित्य दूनो दू नंबर...असल में हिन्दी में प्रकाशन और साहित्य दूनो दू नंबर के धंधे बन के रह गया है. प्रकाशक लेखक के रायल्टी मारता है, लेखक अपने वाद के चक्कर में सच्चाई मारता है और आलोचक गुट के फेर में लेखक के महत्त्व मारता है. अकादमी-ओकादमी का कौनो अध्यक्ष-सचीव हो गया ता ऊहो भाई-भतीजावाद के फेर में भगवान् जाने का-का मारता है! अईसने में आपे बताइये कईसे कौनो किताब मिलेगा भाई?इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-42560130890322813562007-11-30T14:19:00.000+05:302007-11-30T14:19:00.000+05:30बड़ा तेज चैनल है जी आपका. हम तो सोच रहे थे कि चीन य...बड़ा तेज चैनल है जी आपका. हम तो सोच रहे थे कि चीन यात्रा के बाद हज करने जायेंगे फिर कुछ करेंगे पर आप तो...<BR/>हमें भी इसमें शामिल कर लीजिये जी.और इसमें कुछ अंग्रेजी की किताबें भी शामिल कर सकते हैं क्या..?काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com