tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post4205728921601297372..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: रवानी मेंazdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-81087136675710088942010-07-16T20:22:08.418+05:302010-07-16T20:22:08.418+05:30"बेहतरीन शब्द...और आशावाद भी..""बेहतरीन शब्द...और आशावाद भी.."Amitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-84119643907605389712010-07-16T09:15:16.900+05:302010-07-16T09:15:16.900+05:30भाषा की धधकती चिमनियों के पार
कहीं पहुंचाएंगे?
भा...भाषा की धधकती चिमनियों के पार<br />कहीं पहुंचाएंगे?<br /><br />भाषा की धधकती चिमनियाँ कितना धुआँ तो फेंक चुकी हैं। अगरबत्ती जलाई जाये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-18065330493093134992010-07-15T23:49:10.283+05:302010-07-15T23:49:10.283+05:30रवानी में इतना डराते क्यों हैं.. बुझाएगा सुझाएगा.....रवानी में इतना डराते क्यों हैं.. बुझाएगा सुझाएगा..आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-8121666928803502132010-07-15T21:20:55.409+05:302010-07-15T21:20:55.409+05:30आपकी इस कविता में अज्ञात की जिज्ञासा, चित्रण की सू...आपकी इस कविता में अज्ञात की जिज्ञासा, चित्रण की सूक्ष्मता और रूढ़ियों से मुक्ति की अकांक्षा परिलक्षित होती है। ऐसा सामर्थ्य कम कवियों के पास होता है और जिन के पास होता है वे ही दिदावर कहलाते हैं। कहना होगा कि आप ऐसे ही कवि हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-44339960282517242832010-07-15T20:33:46.635+05:302010-07-15T20:33:46.635+05:30रवानी में बसे-धंसे बाबू बहे चलो....
hmm.....एकदम...रवानी में बसे-धंसे बाबू बहे चलो....<br /><br /> hmm.....एकदम चौचक कैची लाईन है।<br /><br /> गोड़ की डोरी और ख़यालों की लोरी<br />गुड़ुप, पानी में सर डुबाये<br />कलेजे में तीली जलाये<br />भाषा की धधकती चिमनियों के पार<br />कहीं पहुंचाएंगे?<br /><br /> यह भी मस्त लगा....बढिया।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-49341251178614226292010-07-15T19:08:00.155+05:302010-07-15T19:08:00.155+05:30लरबोरी के पार सुर सुधा...अद्भुत!!
शुभकामनाएँ...लरबोरी के पार सुर सुधा...अद्भुत!!<br /><br /><br />शुभकामनाएँ...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com