tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post4217859981850453608..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: हिंदी का जलवाघर: एक निहायत सस्ता संस्करणazdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-28791275926470915752012-05-15T03:24:59.854+05:302012-05-15T03:24:59.854+05:30@मेरी गलती. मनीषा ने अपने दूसरे कमेंट में ऊपर के ल...@मेरी गलती. मनीषा ने अपने दूसरे कमेंट में ऊपर के लिखे से चंद पंक्तियां उद्धृत करने के बाद तीन शब्द लिखे थे, '100 फीसदी सही', वह मेरे वीरवादी उत्साही भाव में कट गया था. माफ़ी चाहता हूं.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-27105223773357671502012-05-15T01:12:15.075+05:302012-05-15T01:12:15.075+05:30अगर बस चलता तो यह भाषाई तेवर चुरा लेता..राग दरबारी...अगर बस चलता तो यह भाषाई तेवर चुरा लेता..राग दरबारी का चित्र बड़ा मौजु है...दर असल 'पाठक' प्रकाशक के शिवपालगंज अका 'चमरही' है.amiteshhttps://www.blogger.com/profile/05923164488045661896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-45582837361523708512012-05-14T21:08:36.922+05:302012-05-14T21:08:36.922+05:30@शुक्रिया, दोस्तो.@शुक्रिया, दोस्तो.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-38488588071310054762012-05-14T21:05:36.336+05:302012-05-14T21:05:36.336+05:30कल तक फलाने और ढिकाने आपके कंधे पर बांह धरे थे तब ...कल तक फलाने और ढिकाने आपके कंधे पर बांह धरे थे तब तक आपको उस दुनिया से शिकायत न थी, सब रंगीन था, आज हाय-हाय होने लगी है, अरे? ज्ञानपीठ में इस तरह का, और किस तरह का आदमी बैठा हुआ है, और सही है कि किसी भाषा और साहित्य के लिए यह सम्मानजनक स्थिति नहीं है, मगर आप कृपया मुझे बतायें किस प्रकाशन में आपको सुशिक्षित, वैश्विक साहित्यिक संस्कारों में दीक्षित, प्रवीण प्रकाशक दीख गया?manishahttps://www.blogger.com/profile/10156847111815663270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-17937832291829484672012-05-14T20:54:09.288+05:302012-05-14T20:54:09.288+05:30An Eye opener Pramod ji, Thanks a lotAn Eye opener Pramod ji, Thanks a lotmanishahttps://www.blogger.com/profile/10156847111815663270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-14041915648813953702012-05-14T20:51:33.455+05:302012-05-14T20:51:33.455+05:30खरी और खोटी !खरी और खोटी !Farid Khanhttps://www.blogger.com/profile/04571533183189792862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-32882367328079419892012-05-14T20:01:37.180+05:302012-05-14T20:01:37.180+05:30खरी बात !सीधी बात !खरी बात !सीधी बात !डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-22687146624156656882012-05-14T19:32:15.944+05:302012-05-14T19:32:15.944+05:30माड्डाला... क्या दिया है धर के मस्त कंटाप।
इस ...माड्डाला... क्या दिया है धर के मस्त कंटाप। <br /><br />इस कबूतरखाने में हमारे जातभाई यनिवर्सिटी वाले वगैरह भी भयानक जुड़े हैं... ऐसी बुरी गत बनाने और पुरस्कार/सम्मान/गुट की भड़वागिरी के दलाल अक्सर यहॉं पलते हैं...उन्हें बख्शकर ये राग दरबारी पूरी कोन्नि होगी। <br /><br />भला किया जो लिखा।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-60605409967371078662012-05-14T18:51:06.590+05:302012-05-14T18:51:06.590+05:30हमरा भी कहीं फेसबुकै में कुछ करवा दो। ई साहित्त्त-...हमरा भी कहीं फेसबुकै में कुछ करवा दो। ई साहित्त्त-ओहित्त में कुच्छो नै रक्खल है।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-67496754104589991202012-05-14T18:27:15.449+05:302012-05-14T18:27:15.449+05:30@शुक्रिया वडनेरकर जी,
वैसे सोचिए तो हिंदी आज क्य...@शुक्रिया वडनेरकर जी,<br /><br />वैसे सोचिए तो हिंदी आज क्या है, कितनी महीन और कितनी गहिर है, प्रकाशन, अखबार, पत्रिकाएं तो जो होंगी सो होंगी, इस चिरकुट- कंठ-आकंठ की नउटंकी- जलवाघर का सबसे मार्मिक मंच तो फेसबुक ही बना हुआ है.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-18346063471011497552012-05-14T18:10:34.708+05:302012-05-14T18:10:34.708+05:30हमारे दिल की बात आपको कय्यसे पता चल जाती है पिरमोद...हमारे दिल की बात आपको कय्यसे पता चल जाती है पिरमोद जी ? पीठ थपथपाने लायक लिखा है । फेसबुक पर चिपका दिए हैं । आपके लेख का बहुत सारा चरित्र आजकल उधर ही तफ़रीह करता नज़र आता है । <br />बहुत आभार । ज़ोरे- क़लम और ज्यादा ।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-74697247115863479152012-05-14T11:10:21.346+05:302012-05-14T11:10:21.346+05:30पाठक के लिए और पाठक तैय्यार करने वाले साहित्य की ज...पाठक के लिए और पाठक तैय्यार करने वाले साहित्य की जगह सिमटी है लगातार और इसके पीछे वही जिसकी बखिया उधेड़ी है ऊपरAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08928212793008107322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-88754340919056446872012-05-14T11:00:42.424+05:302012-05-14T11:00:42.424+05:30Bahut sundar.Bahut sundar.Shri Krishna Sharmahttps://www.blogger.com/profile/06032601410702870857noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-31752808270249307422012-05-14T09:25:21.748+05:302012-05-14T09:25:21.748+05:30पुरस्कार वगैरह की चक्कर बाजी कुछ कमाए त ठीक रहेगा....पुरस्कार वगैरह की चक्कर बाजी कुछ कमाए त ठीक रहेगा. अब मजदूर-किसान कमज़ोर है त साहित्तकार उसी के बारे में न चिंतिति दिखेगा. <br /><br />बाकी आशा रखनी चाहिए कि कुछ बदल जाए.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-57293607341087641772012-05-14T07:31:09.525+05:302012-05-14T07:31:09.525+05:30jay ho maharaj. Sach kaha.jay ho maharaj. Sach kaha.अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-65533382057503535672012-05-14T01:41:50.303+05:302012-05-14T01:41:50.303+05:30हिन्दी साहित्य में वीर बालकवाद की वो पंक्तियाँ शाय...हिन्दी साहित्य में वीर बालकवाद की वो पंक्तियाँ शायद आप भूल गए....संघर्ष है जहाँ..वीर बालक है वहाँ :)<br /><br />हेडर बहुत सुघर लाग रहा है...Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-19019290038480023952012-05-14T01:19:45.019+05:302012-05-14T01:19:45.019+05:30बात सब एकदम बरोबर है..मगर इन सब से हमारे भव्य हिंद...बात सब एकदम बरोबर है..मगर इन सब से हमारे भव्य हिंदी साहित्य-महल की महानता की एक ईंट भी कहां उखड़ने वाली है..सो कहाँ लालबुझक्कड़ी मे पड़े आप साहब..आइये गर्मागरम चाय की चुस्कियों के बीच किसानो-मजदूरों की व्यथा भरे बिस्कुट चूभते हुए कर गर्मागरम साहित्यसेवा करते हैं..और शर्त बदते हैं कि हिंदी का पहला नोबेल सम्मान किस गुट की झोली मे गिरेगा..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-77248237872249399062012-05-13T20:23:21.637+05:302012-05-13T20:23:21.637+05:30@शुक्रिया, महाराज,
मालूम नहीं क्या 'अच्छा&#...@शुक्रिया, महाराज,<br /><br />मालूम नहीं क्या 'अच्छा' लिखा है, कहिये, याद दिलाने के लिए लिखा है कि बड़ी-बड़ी हवाबाजियों में ज़रा ऐसे, यूं भी देखते रहें. देख सकें तो. देखने का धीरज हो तो.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-6133204303780681692012-05-13T20:10:06.324+05:302012-05-13T20:10:06.324+05:30इतना अच्छा लिखा है कि इसे चोरी कर यहाँ पर http://w...इतना अच्छा लिखा है कि इसे चोरी कर यहाँ पर http://www.rachanakar.org/2012/05/blog-post_8166.html फिर से छापना ही पड़ा.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com