tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post4681820085989847621..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: ज्ञानहरण...azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-67782380125990201342007-06-10T21:51:00.000+05:302007-06-10T21:51:00.000+05:30प्रमोद जीब्लाग के सार्वजनिक वितरण प्रणाली की तरह आ...प्रमोद जी<BR/>ब्लाग के सार्वजनिक वितरण प्रणाली की तरह आप हम सब लोगों को ज्ञान बांटते रहिये। मैं इस बीच अपने काम छोड़ कर कवि हो रहा हूं। ट्राई कर रहा हूं। आपके रहस्यमयी उपन्यासों में भी मजा आता है।<BR/>हम सब ज्ञान गिल्ट से बचे रहें और अपने आप को सामान्य महान मान कर लिखते रहें। लिखने से दुनिया नहीं बदलेगी मगर दुनिया को कुछ पढ़ने के लिए तो मिलेगा। इसमें कोई संदेह <BR/><BR/>वर्ना एक दिन आटो वाला घर लौट कर अपनी बीबी से कह देगा कि आज कल कुछ पढ़ने को नहीं रहा। उसके कहते ही इसकी ज़िम्मेदारी हमलोगों पर ही आएगी। और हमें शर्मिंदा होना पड़ सकता है। सो ज्ञान दान कैरी ऑन। बल्कि ज्ञान दानravishndtvhttps://www.blogger.com/profile/02492102662853444219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-7125222555103084262007-06-10T14:25:00.000+05:302007-06-10T14:25:00.000+05:30आशा है प्रियंकर भाई इस मस्त कविता का आनन्द लेंगे.....आशा है प्रियंकर भाई इस मस्त कविता का आनन्द लेंगे.. हम ने तो ले लिया.. <BR/><BR/>और जी आपकी फोटो.. वो भी मस्त है.. कुछ तो अदा है जनाब..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-33891973866523126232007-06-10T10:25:00.000+05:302007-06-10T10:25:00.000+05:30अब जब पाठक बढ़ रहे है तो जारी रखे, ज्ञानदान :)पढ़ा क...अब जब पाठक बढ़ रहे है तो जारी रखे, ज्ञानदान :)<BR/><BR/>पढ़ा कविता को छोड़ कर. कभी उसे भी हजम कर सकूंगा.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-5183084536879443132007-06-10T10:19:00.000+05:302007-06-10T10:19:00.000+05:30अभिनव प्यारे, नहीं, रघुवीर सहाय व फ़िराक गोरखपुर...अभिनव प्यारे, नहीं, रघुवीर सहाय व फ़िराक गोरखपुरी दो अलग पहचानें व बहुत हद तक अलग दुनिया के लोग थे.. फ़िराक साहब उर्दू के शायर थे और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मास्टरी की.. रघुवीर सहाय ने 'दिनमान' के ज़रिये हिंदी पत्रकारिता को नए मानदण्ड दिए, फिर कवि रूप जो है उसकी एक छोटी झलक आपने देखी ही..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-16775682231771027922007-06-10T07:48:00.000+05:302007-06-10T07:48:00.000+05:30सही है। लेकिन अपना ज्ञानदान जारी रखें! शरमायें नही...सही है। लेकिन अपना ज्ञानदान जारी रखें! शरमायें नहीं!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-71562155870178595642007-06-10T05:27:00.000+05:302007-06-10T05:27:00.000+05:30बढ़िया कविता सुनाई, ये अपने फिराक साहब की ही है न,...बढ़िया कविता सुनाई, ये अपने फिराक साहब की ही है न, रघुवीर सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी।अभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.com