tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post5335622977308689590..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: मैं वही, वही बात, नया दिन, नयी रात..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-79733716660609225392010-05-18T20:22:42.511+05:302010-05-18T20:22:42.511+05:30कुछ दिन पहले हिन्दी किताबो की दुकान ढूढने की मुझे ...कुछ दिन पहले हिन्दी किताबो की दुकान ढूढने की मुझे भी तलब लगी.. शुरु कहा से हुयी.. बोरीवली वेस्ट मे आटोरिक्शा से कही जा रहा था कि नज़र एक सेकन्ड हैन्ड किताबो की दुकान पर गयी.. किताबो के ढेर लगे हुये थे जैसे मोर्चुरी मे लाशे लगी होती होगी.. पूछा हिन्दी किताबे है.. एक धूल भरे बक्से की तरफ़ इशारा मिला.. बहुत कुछ ढूढने के बाद एक किताब लेकर आयी.. मूल्य सिर्फ़ २५ रूपये :( ओरिजिनल रेट भी बहुत ज्यादा नही थे.. हमे अभी बहुत विकसित होने की जरूरत है..<br /><br />फ़िर एक दिन इन्ही किताबो को ढूढता हुआ पीपल्स बुक शाप, चर्चगेट पहुचा.. लेकिन उस दिन वो भी बन्द मिली.. बडा दुख हुआ.. इसलिये आपके दुख से रिलेट कर सकता हू.. <br />वो भला हो एक मित्र का जिसने कुछ किताबे मुझे कोरियर कर दी है तो अकेले मे उन्ही की रूनी लगाकर बैठ जाता हू.. <br />व्हाईट टाईगर मुझे बहुत खास नही लगी.. हिन्दी साहित्य मे ऎसी अनगिनत लेख और कहानिया है जो उससे बहुत अच्छी है.. <br /><br />"ओह, चूल्हे में जाये सब! खामख़ा लोग चढ़ाते, चढ़ाके उतारते माने खामख़ा बहकाते रहते हैं!.. या शायद मैं ही हूं कि बहकता रहता हूं. और दुखों के काले-काले इतने सारे घनेरे बादल हैं, फिर भी, देखिये, हर वक़्त बेमतलब दांत निपोरे, चहकता रहता हूं."<br /><br />हमेशा बेमतलब दांत निपोरे और चहकते रहिये.. :)Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-8607975193409898942008-07-09T06:56:00.000+05:302008-07-09T06:56:00.000+05:30आप दुखिया दास कबीर हैं। जागते हैं और रोते हैं। अभय...आप दुखिया दास कबीर हैं। जागते हैं और रोते हैं। <BR/><BR/>अभय ने जो किताब दी उसके बारे में बताइयेगा बांचकर!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-90819698116305981092008-07-09T01:43:00.000+05:302008-07-09T01:43:00.000+05:30जी, कुछ ज्ञान ग्रहण किया हमने । शुक्रिया, धन्यवाद ...जी, कुछ ज्ञान ग्रहण किया हमने । शुक्रिया, धन्यवाद , नवाजिश...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-39295310782569857702008-07-09T00:17:00.000+05:302008-07-09T00:17:00.000+05:30छोटा सा जीवन हो दुश्मन का जी!! आपकी अभी उम्र ही क्...छोटा सा जीवन हो दुश्मन का जी!! आपकी अभी उम्र ही क्या है? इतनी कम उम्र में इतना कुछ ठिल ठुला चुके है..अभी तो कई गुना बाकी है. पढ़ते रहिये हरियाये और ठेलते चलिये. <BR/><BR/>असीम शुभकामनाऐं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-52892267331851388072008-07-08T14:24:00.000+05:302008-07-08T14:24:00.000+05:30प्रमोदजी, छोटे से जीवन में आदमी बहुत कुछ ठीलेगा भी...प्रमोदजी, छोटे से जीवन में आदमी बहुत कुछ ठीलेगा भी और झेलेगा भी, लेकिन आप तमाम परेशानियों के बीच भी दांत निकालते और हंसी में थोड़ा सा साउंड इफेक्ट देते हुए ऐसे ही किताबें पढ़ते रहिए और थोड़ा थोड़ा ज्ञान इधर भी ठेलते रहिए।नीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.com