tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post7136545180772517312..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: किताबों का मर्सिया..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-10655481167279824672007-06-26T21:30:00.000+05:302007-06-26T21:30:00.000+05:30आप इन दिनों क्या नया ट्राई कर रहे हैं?..--यह प्रश...आप इन दिनों क्या नया ट्राई कर रहे हैं?..<BR/><BR/>--यह प्रश्न अब कहाँ वेलिड रह गया. अब तो ऐसा हुआ कि आज क्या नया ट्राई कर रहे हैं. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-16792633034318716202007-06-26T19:14:00.000+05:302007-06-26T19:14:00.000+05:30लगता है आपने बडे दिनों से कोई अच्छी किताब नही पढी ...लगता है आपने बडे दिनों से कोई अच्छी किताब नही पढी , दो किताबें पढिये एक " संतरों वाली लड़की " और " धुल भरी जिन्दगी" फिर आपकी राय शायद बदल जायेSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-64658858731381044782007-06-26T15:43:00.000+05:302007-06-26T15:43:00.000+05:30किताबों पर सोचते-लिखते हुए आप हमेशा उस बच्चे की तर...किताबों पर सोचते-लिखते हुए आप हमेशा उस बच्चे की तरह................लेकिन यह भी देखा जा............की.......ज़रूरत...............कराना.........भूलते रहते.......क्या यही सब के लिये.........कैसे-कैसे जतन करने के बाद एक किताब हाथ आई थी और दो पेज पढ्ते ही वरुण आ गया उसने जब देखा कि यह तो.............इसीलिये कोई अगर यह समझ्ता है कि अम...........इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-14146372238004675962007-06-26T14:54:00.000+05:302007-06-26T14:54:00.000+05:30किताबों के साथ बहुत बड़ी समस्या है..पढ़ते समय ऎसा अह...किताबों के साथ बहुत बड़ी समस्या है..पढ़ते समय ऎसा अहसास देती है कि ये हमारी जिन्दगी और उसके आसपास की ही एक छवि है ..लेकिन समय की बहती धार में ...विस्मृति के आलोक में वह छवि धुल सी जाती है...फिर कभी वही पन्ने पलटाओ तो फिर सब नया सा लगता है..अब इस उलझन भरी दुनिया में क्या नया ट्राई करें ..सूचना के ओवरलोड ने किताबों के पढ़ने के रस को अब खतम कर दिया ..क्या करें...?? आपका मर्सिया भी वही कहानी है...काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com