tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post7164028358257716942..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: दोपहर के खाने के बाद कुछ गंभीर सवालों से जुत्तम-पैजार..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-55191338830226008922013-09-06T15:54:04.134+05:302013-09-06T15:54:04.134+05:30गहन सवाल...
ये चिंतन सब तक पहुंचे!गहन सवाल...<br />ये चिंतन सब तक पहुंचे!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-53973156773836731832008-02-07T02:04:00.000+05:302008-02-07T02:04:00.000+05:30मुझको अपने गले लगा लो, ऐ मेरे हमराही हमको खुद से ह...मुझको अपने गले लगा लो, ऐ मेरे हमराही <BR/>हमको खुद से है प्यार कितना ये कैसे बतलाएं<BR/>तुम चले जाओगे तो मगर याद बहुत आओगे? <BR/>कहीं दीप जले कहीं दिल <BR/>कहीं मोड़-मोड़ पर सांप के बिल <BR/>तुम नेवला बनकर आओगे नहीं, प्रिये <BR/>मुझको बचाओगे नहीं, प्रिये?<BR/><BR/>अद्भुत कविता उविता रच दिए हैं आप....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-78210631758282449582008-02-06T19:52:00.000+05:302008-02-06T19:52:00.000+05:30अपनी सहज नागरिकता में हम प्रोटेक्टेड व सहेजे नहीं...अपनी सहज नागरिकता में हम प्रोटेक्टेड व सहेजे नहीं जायेंगे? बेटियों का ब्लॉग, बेटों व बहिनों का ब्लॉग का यूनियनिस्टिक स्वर ही हमें कवच व सुरक्षाभाव मुहय्या करवायेगा?.. <BR/><BR/>बहुत वाजिब प्रश्न हैं । जवाब जो भी हों आधे अधूरे ही रहेंगे । बेटियों का ब्ळॉग फिलहाल पिताओं का ब्ळॉग ज़्यादा दिखता है । बहन की याद भी कंसर्न का शिफ्ट हो जाना है । ऐसे में जब स्पेस केन्द्रीय स्थिति वाले लोगों में बँट और फैल रहा है वहाँ उनकी नीयत पर लगातार सवाल उठाना और उनकी भाषा को डीकोड करना निहायत ज़रूरी है । <BR/>आपके सवाल बेशक व्यापक समुदाय को लेकर हैं । ऐसे ब्लॉग और ऐसे समाज ऐसे साहित्य की क्या सामाजिकता सामुदायिकता जिसमे एक वर्ग विशेष के प्रति अनुदारता और कपटता हो ?सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/10694935217124478698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-41305478274856389572008-02-06T17:43:00.000+05:302008-02-06T17:43:00.000+05:30भरे पेट और अलसाए हुए भी इतना गरिष्ठ चिन्तन . का खा...भरे पेट और अलसाए हुए भी इतना गरिष्ठ चिन्तन . का खाया था -- खिचड़ी .<BR/><BR/>नहीं ! सच में कई विचारणीय बिंदु हैं जिन पर गम्भीर सोच-विचार बहुत ज़रूरी है . अज़दकीय भाषा में 'गंभीर सवालों से जुत्तम-पैजार' .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-30022878644883356492008-02-06T16:19:00.000+05:302008-02-06T16:19:00.000+05:30satyamaevjayetaesatyamaevjayetaeAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-13183178567887997632008-02-06T16:12:00.000+05:302008-02-06T16:12:00.000+05:30भोजन करने के पशचात दाईं तरफ करवट लेकर आठ सांस लें,...भोजन करने के पशचात दाईं तरफ करवट लेकर आठ सांस लें, बाईं तरफ करवट लेकर 16 बार श्वसा लें फिर सीधे लेटकर 32 श्वास लें। इससे भोजन ठीक तरह से पचेगा और आपका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा। खाना खाने के बाद इतना तो नहीं ही पकाएंगे।<BR/><BR/>क्या प्रमोद जी आप भी अच्छे भले पतित पति के पाप सुनाते-सुनाते क्या सभी की +*#$%^&& लेने लगते हैं।नीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-53842764463784213932008-02-06T16:09:00.000+05:302008-02-06T16:09:00.000+05:30हम तो लिखने के लिये लिखते हैं,पर आपकी लिखाई पर मैन...हम तो लिखने के लिये लिखते हैं,पर आपकी लिखाई पर मैने भी अभी अभी एक शेर बनाया है<BR/>मैं शायर तो नहीं<BR/>मगर तेरा ब्लॉग देखकर <BR/>शायरी आ गई<BR/>अंदर से कोई बाहर ना आ सके<BR/>बाहर से कोई अंदर ना जा सके<BR/>तेरे ब्लॉग मे फ़ंसकर<BR/>कोई वहीं फ़ंस जाय ऐ विमल<BR/><BR/>ऐसे शेर तो मैं बाएं हाथ से लिखता हूँ<BR/>ब्लॉग लिखने के लिये बहुत ज़्यादा दिमाग नहीं लगाता..मुम्बई के इस ठंड में थोड़ी नरम धूप मयस्सर हो जाती है तो सोच के बताता हूँ..VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-37108089538286816832008-02-06T16:06:00.000+05:302008-02-06T16:06:00.000+05:30क्या दर्द है प्रिये..?क्यों दर्द है प्रिये.??जीवन ...क्या दर्द है प्रिये..?<BR/>क्यों दर्द है प्रिये.??<BR/>जीवन गर्द है प्रिये..<BR/>मत सोच इतना..<BR/>खा..पचा.....<BR/>उड़ेल..धकेल..<BR/>नकेल मत कस..<BR/>मत खुरच..<BR/>बचा खुचा दिमाग..<BR/>चतुर बन ..चौपट कर<BR/>बहल..मचल मत..<BR/>संभल..बदल..<BR/>देख..बोल मत..<BR/>चुप रह..<BR/>बस पूछ.. <BR/>क्या दर्द है प्रिये??काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com