tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post7899810543803254355..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: कनिया रे कनिया..azdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-87105612158311831492013-08-17T05:10:10.829+05:302013-08-17T05:10:10.829+05:30जीवन में इतना शोक क्यों है, काकी? हम तो किसी का ब...जीवन में इतना शोक क्यों है, काकी? हम तो किसी का बिगाड़े नहीं, काकी, फिर? <br />***<br />जाने कनिया को यह प्रश्न करने की सुभीता मिली या नहीं... पर यह मार्मिक प्रश्न हम तक पहुंचा ज़रूर, पूछा गया होता यह प्रश्न तो शायद ज़वाब में काकी मौन ही रहती... क्या कहती?<br />हम भी मौन हैं!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-39975024110845776242013-03-09T19:20:38.162+05:302013-03-09T19:20:38.162+05:30घाट घाट के पानी पी के, बऊआ कहे कहानी
सूरज उगे भले...घाट घाट के पानी पी के, बऊआ कहे कहानी <br />सूरज उगे भले पछ्छिम से, कनिया भये न रानी। Vikashhttps://www.blogger.com/profile/01373877834398732074noreply@blogger.com