tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post8269448584700182921..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: बलरामपुर से गुज़रते हुए: चंद नोट्सazdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-85779844928891063402008-11-15T15:28:00.000+05:302008-11-15T15:28:00.000+05:30ट्रेवलाग लिखते-लिखते ट्रेजडी हो ली लगती है ,आप समझ...ट्रेवलाग लिखते-लिखते ट्रेजडी हो ली लगती है ,आप समझ मे आया आप क्यो हर लेख के नीचे पतनशील साहित्य क्यो लिखते है !!दीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-91057159281654242812008-11-14T20:13:00.000+05:302008-11-14T20:13:00.000+05:30बलरामपुर तो छूटने से रहा चाहे कितनी ही हेट लिख दो ...बलरामपुर तो छूटने से रहा चाहे कितनी ही हेट लिख दो एक लाईन में. बस, बिल्लियायी भुलावा पाल सकते हो एक ठो ए सी कमरा में बैठकर प्रियतमा के साथ वाइन सुड़कते हुए..कि हाय हाय, ये देखो, मैने बलरामपुर को विस्मृत कर दिया.<BR/> तब थोड़ा गाल बजाना, गोड़ हिलाना फिर छा जायेगा बलरामपुर.. :)<BR/><BR/>आपसे कैसे मूँह फुला सकते हैं..उस तरफ से निश्चिंत रहिये. यूँ भी स्वयंभू मठाधीश तो घोषित हो लिए हो, फिर कैसे हम मूँह फुलाये. मौलवी से तो फिर भी बच लेंगे. :)<BR/><BR/>बढ़िया पीस रहा सेम्पल के लिए..कोशिश करेंगे.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-22908633380236462622008-11-14T13:36:00.000+05:302008-11-14T13:36:00.000+05:30बलरामपुर चलने के लिए बल के साथ राम का नाम और पुरजो...बलरामपुर चलने के लिए बल के साथ राम का नाम और पुरजोश की ज़रूरत होती है, यह लेख से साफ ज़ाहिर होता है। अच्छा लेख, बधाई!चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-156801369758332672008-11-14T11:51:00.000+05:302008-11-14T11:51:00.000+05:30gazab haigazab haiपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.com