tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post936109087013054427..comments2023-11-02T19:59:11.734+05:30Comments on अज़दक: सूना घर और सूने सपनेazdakhttp://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-29251868024784751192007-02-24T12:25:00.000+05:302007-02-24T12:25:00.000+05:30हुज़ूर, आप जो कोई हों आपने बडी मीठी सी बात कही है....हुज़ूर, आप जो कोई हों आपने बडी मीठी सी बात कही है. सामने होते तो मैं भागकर आपके लिए समोसे लिये आता. चित्रकथा का ध्यान तो ज़रुर है, मगर दिक्कत है चित्रकथाएं महज़ सुंदर तस्वीरों पर आश्रित नहीं होतीं.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-27908977796838503602007-02-24T07:39:00.000+05:302007-02-24T07:39:00.000+05:30इतनी सुंदर तस्वीरें आपको कहां से मिलती हैं। आपको च...इतनी सुंदर तस्वीरें आपको कहां से मिलती हैं। आपको चाहिए कि ऐसी तस्वीरें ढूंढ़कर कोई यथार्थवादी चित्रकथा शुरू करें।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2179815305421953170.post-47813049663841611362007-02-23T17:29:00.000+05:302007-02-23T17:29:00.000+05:30आज वाला टुकड़ा कुछ कमजोर जान पड़ रहा है. भाषा की त...आज वाला टुकड़ा कुछ कमजोर जान पड़ रहा है. भाषा की तराश में कुछ कमी लग रही थी और बात के दम-खम में भी. लगा कि कुछ जल्दबाजी में, फंसे-फंसे लिखा गया है. <BR/>-मनीषा पांडेयAnonymousnoreply@blogger.com